दो दिल मिल कर अब झूमेंगे इस प्यार भारी बरसात में फिर
एक एक कदम पर खौफ यहाँ डर डर के हैं जीते लोग यहाँ
फिर देश पे खतरों का साया हम हैं नाज़ुक हालात में फिर
खुशहाल हुए आज़ाद हुए लोगों की गुलामी खत्म हुई
कुछ देर सभी को याद रहा सब आ ही गए औकात में फिर
सजना तेरे नाम की मेंहदी जब हाथों में रचा डाली उस ने
शहनाई गूँज उठी मन में सपनों वाली बारात में फिर
क्या सोच के तुम पहुंचे थे इधर यूं खाली हाथ 'अशोक'
ये लोग तुम्हारी ही चीज़ें दे देंगे तुम्हें खैरात में फिर .