तेरे लबों से अपने लबों को सजा लूं जरा
दिल में उठती हुई हर हसरत की कसम
मेरे "अशोक" तुझे बाहों में छुपा लूं जरा
शायर "अशोक"
ऐ बादे-सबा किस नूर को लाये हो साथ मे .... आज जीने की फिर से तमन्ना हों चली मुझको !!!! ---- शायर " अशोक " ......... मेरे दिल मे जो भी ख्याल आते हैं , मैं उन्हें लिख देता हूँ ..... आप अपनी कीमती टिप्पणी अवश्य दें || ........... आपकी तारीफ़ और आलोचना , मुझे हमेशा सोचने और लिखने कों प्रेरित करती है ||...... धन्यवाद .......