बेटे ने बाप को खंजर क्यों दिखाया है
मुझको ख़ुदा तूने ये मंज़र क्यों दिखया है
हर रिश्ते - नातों को ख़त्म कर उसने
शक़ की आग़ में खुद को क्यों जलाया है
बिन मौसम बरसात का ये क्या इशारा है
शायद किसी ने किसी के दिल को दुखाया है
पूछी है दोस्तों ने मुझसे मेरी कहानी
मगर क्यों जुबाँ पे तेरा नाम आया है
हर दर्द की दवा , हर ज़ख्म का मरहम
माँ के आँचल तले ज़न्नत का साया है
उस बेबस किसान की दुःख भरी दास्तां सुन
"अशोक" का दिल बहुत दर्द से भर आया है
......... शायर " अशोक "
12 comments:
संवेदनशील रचना....बधाई
उस बेबस किसान की दुःख भरी दास्तां सुन
" अशोक " का दिल दर्द से भर आया है!!!
बड़े अच्छे शायर हैं आप ! क्योंकि दिल के दर्द की पहचान है आपको !
किसान का दर्द आज की दुःख भरी सचाई है ! बधाई स्वीकारें !
मेरी कविता कैसी लगी !जरुर लिखें !
तहे-दिल से शुक्रिया !!!!!
बेटे ने बाप को खंजर क्यों दिखाया है
ख़ुदा तुने मुझको ये मंज़र क्यों दिखया है
हर रिश्ते-नातों को ख़त्म कर उसने
शक़ की आग़ में खुद को जलाया है
बहुत खूब अशोक भैया..
माँ के आँचल तले ज़न्नत का साया है .....
Bahut sundar rachna hai Ashok ji...Badhayi sweekar karen.
bahut samvedansheel rachna hai brother .........
its awesome ,keep it up.
bahut accha likh hai.. kabhi me kuchh eisa prayaas zaroor karoonga..
good luck..
रंग लाएगी किसानी।
यह धरा होगी सुहानी।
देते रहिए आप यूँ ही-
शायरी को खाद-पानी॥
सद्भावी-डॉ० डंडा लखनवी
आप ने बहुत कमाल की गज़ले कही हैं
बिन मौसम बरसात का ये क्या इशारा है
शायद किसी ने किसी के दिल को दुखाया है
bhavnao kee ye barsaat pooree tarah bhigo gayee.......samvedansheelata kee barakha me.
बिन मौसम बरसात का ये क्या इशारा है
शायद किसी ने किसी के दिल को दुखाया है
bahut hi achhi ghazal hai..........likhte rahiye
badhaii..........
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