इश्क़ की शाख पे खिलती तेरे अन्दाम की ख़ुशबू
है बादे - सबा के लब पे तेरे नाम की ख़ुशबू
मेरी तशनगी बुझा दो , दो घूंट अब पिला दो
ये आँखें हैं मये-मुहब्बत से भरी जाम की ख़ुशबू
जब कामिनी के फूल खिले, शबनम की बूंद तले
फैलती है हर तरफ मये-गुलफाम की ख़ुशबू
चलते रहो तुम राह पे , थकना न कभी हार के
कदम को चूम लेंगी इक दिन मुकाम की ख़ुशबू
ख़ुदा से हर दुआ में बस तुम्हे ही मांगते हैं हम
मेरे लब है " अशोक " तेरे नाम की ख़ुशबू
* अन्दाम -- जिस्म ,
* बादे-सबा -- सुबह की पुरवाई हवा या ठंडी हवा ,
* तशनगी -- प्यास ,
* मये-मुहब्बत -- मुहब्बत रूपी मदिरा ,
* मये-गुलफाम -- फूलों की रंग जैसी मदिरा
--------- शायर " अशोक "
33 comments:
ashok ji
bahut hi sundar gazal ....aakhri sher to bas maashaallah hi hai ... meri badhaiyi sweekar kare..
aabhar aapka
vijay
वाह क्या बात है. !!
Bahut sundar gazal ke liye badhai Ashok ji
इश्क़ के शाख पे खिलती तेरे अन्दाम की ख़ुशबू
है बादे - सबा के लब पे तेरे नाम की ख़ुशबू
सुभानाल्लाह .....!!
मेरी तशनगी बुझा दो , दो घूंट अब पिला दो
ये आँखें हैं मये-मुहब्बत से भरी जाम की ख़ुशबू
माशाल्लाह ......!!
जब कामिनी के फूल खिले, शबनम की बूंद तले
फैलती है हर तरफ मये-गुलफाम की ख़ुशबू
वल्लाह ....!!
चलते रहो तुम राह पे , थकना न कभी हार के
कदम को चूम लेंगी इक दिन मुकाम की ख़ुशबू
बहुत खूब .....!!
ख़ुदा से हर दुआ में बस तुम्हे ही मांगते हैं हम
मेरे लब है " अशोक " तेरे नाम की ख़ुशबू
दुआ कबूल हो ......!!
चलते रहो तुम राह पे , थकना न कभी हार के
कदम को चूम लेंगी इक दिन मुकाम की ख़ुशबू
ashaar achha hai
मेरी तशनगी बुझा दो , दो घूंट अब पिला दो
ये आँखें हैं मये-मुहब्बत से भरी जाम की ख़ुशबू
waah...bahut hi badhiyaa
मेरी तशनगी बुझा दो , दो घूंट अब पिला दो
ये आँखें हैं मये-मुहब्बत से भरी जाम की ख़ुशबू
namaskar...........ashok jee , sahi mayene me muhabbat ki khsboo bikher di aapne .........shubhkamnaye............
Bas itna hi kahungi ki waah bhai waah. Fantabulous shayari.
bahut khoob,sir!
aapne badi khoobsurati se apni bhavnaao ko is ghazal me piroya hai!!!
ashokji bakaee achchi gazal hai
जब कामिनी के फूल खिले, शबनम की बूंद तले
फैलती है हर तरफ मये-गुलफाम की ख़ुशबू
wow....wow Ashok ji bahut pasand aapki yah pankityan.
shandar rachanaa hai ............ ASHOK JI SHUBHKAMANAYEN.....
चलते रहो तुम राह पे , थकना न कभी हार के
कदम को चूम लेंगी इक दिन मुकाम की ख़ुशबू
bahut sunder khyaal
bahut achchi gazal
padh kar bahut sakun mila
bahut hi unda gazaj ,bahut hi sndar avam prashanshniy abhivykti.
dil se dhanyvaad.
poonam
बहुत बढिया गजल है अशोक जी।बधाई स्वीकारें।
अच्छी रचना....
मेरी तशनगी बुझा दो , दो घूंट अब पिला दो
ये आँखें हैं मये-मुहब्बत से भरी जाम की ख़ुशबू !
आपाधापी कीजिन्दगी में चैन ओ सुकून का पल है आपकी शायरी ! आभार !
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इसे पढ़के मिला जो सुख उसे मैं कह नहीं सकता।
बिना बांधे हुए तारीफ के पुल रह नहीं सकता।
सद्भावी-डॉ० डंडा लखनवी
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बहुत अच्छी असरदार
गजल
बधाई
aap se gazal sikhni padegi khub badhiya
बहुत शानदार रचना !!
कामिनी की जगह कोई और शब्द लीजिये ना|
शुभकामनायें
Bahut khgoob gazal ... matla padh kar ehsaas ho gaya ki paripakv shaayer ka kalaam hai ... bahut hi lajawaab ...
बहुत बेहतर रचना है
उर्दू शब्दों के अर्थ देकर
आपने मुझ जैसे अज्ञानी के लिए
भी समझने का रास्ता खोला है
आभारी हूं।
bhaut ache...
चलते रहो तुम राह पे , थकना न कभी हार के
कदम को चूम लेंगी इक दिन मुकाम की ख़ुशबू
bahut pyari rachna lagi Badhai!!
अशोक जी नमस्कार , मेरा नाम गनेश जी "बागी" है, मै पेशा से बिहार सरकार मे सिविल इंजिनियर हू तथा पटना मे कार्यरत हू, साहित्य से शौक है इसलिये एक सोसल वेब साईट www.openbooksonline.com चलाता हू , मैने आपका ब्लॉग पढ़ा सभी पोस्ट एक से बढ़कर एक है, आप बहुत ही अच्छा लिख रहे, मै आपके उबुर-ए-कलम से प्रभावित हू ,मै चाहता हू की आप ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार मे शामिल होकर अपनी रचनाओ को www.openbooksonline.com पर भी पोस्ट करे जिससे आपकी रचनाओं को और भी लोग पढ़ सके, धन्यवाद सहित आपका
गनेश जी "बागी"
अशोक भाई !
बहुत लाजबाब लिखा ।
बधाई ।
wow...sir
kamaal ka likha hai..
kamaal ka !!
chlte rho tum rah pe thkna na kbhi har ke
kdm ko chum legi ik din mukam ki khusbu
jindgi ke hr pl ko isi dua ki jrurt hoti hai .
is gazal me tou khushboo hi khushboo hai ... mahakti huyi gazal ..
Ashok Ji,
Namaskaar,
Pehli baar aapke bolg per aaye hain bhaut hi sunder bhaav vichhar likhe hain is rachna mein.
इश्क़ की शाख पे खिलती तेरे अन्दाम की ख़ुशबू
है बादे - सबा के लब पे तेरे नाम की ख़ुशबू
Surinder Ratti
ashok bahut pasand aya har ek sher mujhe
खुशबू के एक कश में दिल की कशमकश मिटी.
हमकश की कशिश इश्क की, बेइंतहा बढी --
खुशबू का सार्वभौम अनुभव सुन्दर और सुगन्धित..
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