दिल का दीया बुझा-बुझा-सा है
कोई हमसे जुदा-जुदा-सा है
कोई हमसे जुदा-जुदा-सा है
तनहा , उदास , खामोश हर लम्हा
मन का आँगन सूना-सूना-सा है
उसकी बेवफाई की दास्तां न पूछो
भींगे अश्क़ों में, दिल जला-जला-सा है
ख़्वाब जो हकीक़त न बन सका
हर ख़्याल का निशां मिटा-मिटा-सा है
टूटी है आरज़ू, आइनें की तरह
"अशोक" गमे-इश्क़ में डूबा-डूबा-सा है
----- शायर " अशोक "
32 comments:
achhe sher likhe hain achaa likhate ho
nice janab
बहुत सुन्दर गजल है बधाई स्वीकारें।
उसकी बेवफाई की दास्तां न पूछो
भींगे अश्क़ों में, दिल जला-जला-सा है...ye lines kamal ki hai....apne bare me batane ke liye sukriya..ab me aapka blog regular dekhunga...
अच्छी रचना ...बधाई !!
आपने बहुत सुन्दर ग़ज़ल लिखा है जो काबिले तारीफ़ है! बहुत बढ़िया लगा!
ख़्वाब जो मेरा हकीक़त न बन सका
हर ख़्याल का निशां मिटा-मिटा-सा है
her sher umda..
pahli baar aaya achha lga.
ab aata rahunga..
kabhi waqt mile to dekhiyeg..
http://tajinindia.blogspot.com
टूटी है हर आरज़ू, आइनें की तरह
"अशोक" गमे-इश्क़ में डूबा-डूबा-सा है
बस बिलकुल ही डूब मत जियेगा ......!!
यूँ हम हैं खींच कर निकालने के लिए ....
.
दिल के भाव बखूबी डूब tair rahe हैं .....!!
bahut sundar,,,,badhayi
kya kahun ab is par..............sara dard undel kar rakh diya.
bahoot sahi kaha hai apne baare me
bilkul aisa hi hai jitna mai aapko janta hoon...........
behatar kosjish--
bas k
rang lati hai hina patthar mein pis jane k bad--
उसकी बेवफाई की दास्तां न पूछो
भींगे अश्क़ों में, दिल जला-जला-सा है
सुन्दर गजल है
उसकी बेवफाई की दास्तां न पूछो
भींगे अश्क़ों में, दिल जला-जला-सा hai .
Kya bat hai Ashok jee.
सुन्दर गजल है
वाह ! वाह ! क्या बात है !
बहुत सुंदर भावपूर्ण ग़ज़ल
टूटी है हर आरजू आइने की तरह ......
लाजबाब ।
वह क्या बात है ...गुनगुनाने को जी चाहता है !संगीतमय प्रस्तुती के लिए बधाई !
बहुत खूबसूरती से लिखे हैं जज़्बात ....अच्छा लगा पढ़ना
बहुत सुन्दर!
bahut khoob surat gazal.isko yaad karne ki koshish kar rahi hun.
poonam
अरे असोक बबुआ,
ई सब दुई-दुई बेर काहे बा? एगो बार से काम नाहीं चलिबे का?
हा हा हा.....
माफ़ करना दोस्त! हँसता हुआ पैदा हुआ था..... मेरी गलती नहीं!
अच्छा लिखा है आपने!
बहुत सुन्दर !
Behtreen gajal ke liye bdhai.....
kya mancho par aana jana hota hai...ydi haan to cd uplabdh ho sakti hai....
टूटी है हर आरज़ू, आइनें की तरह
"अशोक" गमे-इश्क़ में डूबा-डूबा-सा है
बहतरिन गज़ल ....
"दिल का दीया बुझा-बुझा-सा है
कोई हमसे जुदा-जुदा-सा है"-
वह, बहुत खूब कहा है आपने. बधाई स्वीकारें
दिल का दीया बुझा-बुझा-सा है
कोई हमसे जुदा-जुदा-सा है
बहुत खुबसूरत और दिलनशी ग़ज़ल कही है अशोक साहब आपने मुबारकबाद
Neha....
dil ke jalne ka haal.....waah..
bahut acha likha hai....good 1.
बहुत सुन्दर
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