दो दिल मिल कर अब झूमेंगे इस प्यार भारी बरसात में फिर
एक एक कदम पर खौफ यहाँ डर डर के हैं जीते लोग यहाँ
फिर देश पे खतरों का साया हम हैं नाज़ुक हालात में फिर
खुशहाल हुए आज़ाद हुए लोगों की गुलामी खत्म हुई
कुछ देर सभी को याद रहा सब आ ही गए औकात में फिर
सजना तेरे नाम की मेंहदी जब हाथों में रचा डाली उस ने
शहनाई गूँज उठी मन में सपनों वाली बारात में फिर
क्या सोच के तुम पहुंचे थे इधर यूं खाली हाथ 'अशोक'
ये लोग तुम्हारी ही चीज़ें दे देंगे तुम्हें खैरात में फिर .
28 comments:
वाह अशोक कमाल कर दिया ......बहुत बहुत आशीर्वाद !!
बहुत बढिया अशोक जी। बहुत अच्छी गजल है बधाई स्वीकारें।
bahut sundar likha ahai aur gungunayaa hai
ashok ji...jawaab nahi...its beautiful!
मैं पहली बार इस ब्लॉग पर आया हूँ और दुखी हो रहा हूँ, थोड़ा पहले आना चाहिए था. आपके लेखन में दम है लेकिन थोड़ी सी मेहनत करनी होगी टेक्निक समझने में. मुझे विश्वास है, आप इस ओर जरूर ध्यान देंगे.
bahut shandar ... aanand aa gayaa ........ badhate rahen ... shubhkamanayen....
sahi me bahoot hi badhiya hai sir kya khane is gazal ke.......
bahut hi sundar likha hai aapne,...
mere naye blog par bhi aapka sawagat hai..
http://asilentsilence.blogspot.com/
bahut achchi abhivayakti ..
wah ashok ji wah.......
sundar gazal!
sundar gazal!
Beautiful work
bahut sundar rachna hai .... bahut khoob aap ne dil jeet liya ..
बहुत बढिया ... मैं गुजरातीमें गज़लें लिखता हूँ मगर हिन्दी गज़लों के प्रति बहुत लगाव हे । आपकी गज़ले दिल को छुती है । जारी रखयेगा ।
wah ashok bhai. shandar gazal. badhaee.
hi
REALLY SO NICE. READ your shayeri SO SERIOUS AND QUITE. ARE YOU SERIOUS AND QUITE LIKE YOUR SHAYERI?
अशोक जी। बहुत अच्छी गजल है बधाई स्वीकारें।
शायर " अशोक " जी, जन्मदिन की बहुत बहुत हार्दिक बधाइयाँ और शुभकामनाएं !
जय श्री कृष्ण...आप बहुत अच्छा लिखतें हैं...वाकई.... आशा हैं आपसे बहुत कुछ सीखने को मिलेगा....!!
गजल पढ़ और सुन कर बहुत अच्छा लगा!
बधाई स्वीकारें।
हैरानी हो रही है ब्लॉग जगत में कोई कवी भी है..वाह..बहुत खूब ब्यान किया है आपने..बहुत शुभकामनाये..
हैरानी हो रही है ब्लॉग जगत में कोई कवी भी है..वाह..बहुत खूब ब्यान किया है आपने..बहुत शुभकामनाये..
हैरानी हो रही है ब्लॉग जगत में कोई कवी भी है..वाह..बहुत खूब ब्यान किया है आपने..बहुत शुभकामनाये..
achche sher bahut achchi gazal !
एहसास के बादल गरजे हैं सावन की सुलगती रात में फिर
happy holi !
Bahut hi sundar Abhvyakti... plz visit my blog and give me ur valuable comments = http://yogeshamana.blogspot.com/
"खुशहाल हुए आज़ाद हुए लोगों की गुलामी खत्म हुई
कुछ देर सभी को याद रहा सब आ ही गए औकात में फिर"
बहुत उम्दा...
मुहतरम अशोक जी,
काफी देर से आपके एहसास - आपके जज़्बात के साथ हूँ... बहुत ही उम्दा रचनाएं पढने को मिली...
सादर बधाई और शुभकामनाएं....
बहुत ही अच्छी गज़ल
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