दर्दे-दिल छुपाना है और मुस्कुराना है
रिश्ता दिल का दिल से है उसको तो निभाना है
बोझ पापियों का है धरती माँ के सीने पर
राम बन के प्रभु तुझको इस जहां में आना है
फट पडी है यह धरती बारिशें न होने से
रंजो-गम ही उगते हैं अब इन्हें ही खाना है
प्यार के पुजारी हैं हमको डर से क्या मतलब
प्यार का बुलावा है और हमको आना है
सो रहा है मुद्दत से जाग बेखबर अब तो
माँ का क़र्ज़ है तुझ पर अब तुझे चुकाना है
------ शायर "अशोक "
33 comments:
Bahut behtarin hai shayar bhai.
Sach kahte ho aap darde dil chhupana hai aur muskurana hai........maa ka karj chukana hai.....
Dil ko chhu gayi aapki ye rachna...
din aur rat ki bhatin milna hai aur bichar jana hai ,sahi kaha shayar ashok,"Darde-Dilchupana hai aur muskarana hai"
Hum to aapki shyari me aise khoye,jaise koi bichara jamana hai,kya kare,"Rista dil ka dil se hai use to nibhana hai"
yuhin hin likha karo aap"kyonki hamare jaise logo ka yahi Thikana hai"
jab jab dharti par atyachar badhta hai to shree bhagwan ka wada hai wah jaroor aayange
Wah.... Ashok jee....!!!!!!!!!!!!!
WAH.........!!!!!!!!!!!!
Aapke ehsas me kitni yathartata hai ye aapki amulya rachna se spashta hoti hai....!!!!!
Aakhon ke raste Man Mastik me chate huye Dil me uttar gayi......
फट पडी है यह धरती बारिशें न होने से
रंजो-गम ही उगते हैं अब इन्हें ही खाना है
बहुत खूबसूरत गज़ल ... मेरे ब्लॉग पर आने के लिए आभार
दर्दे-दिल छुपाना है और मुस्कुराना है
रिश्ता दिल का दिल से है उसको तो निभाना है.
सुंदर एहसास से परिपूर्ण खूबसूरत काज़ल. शुक्रिया मेरे ब्लॉग पर आने के लिए.
फट पडी है यह धरती बारिशें न होने से
रंजो-गम ही उगते हैं अब इन्हें ही खाना है
बहुत ही बढ़िया
क्या बात है बड़े ज़बरदस्त शेर रच डाले. एक पल तो मैं भी भौंचक्का रह गया. भाई ऐसे शेर कहोगे तो मुझे कौन पूछेगा?
बहुत खूबसूरत गज़ल ...
Bahut he sunder pankhtiyaan hai Ashok ji,...Apse aise he khubsurat poems ki aasha rakhte hain...Rgds RK
Sarwat Jamal : सर जी, आपके आशीर्वाद से ही तो ये गज़ल बनी है ,
वर्ना हम जैसे शायर तो यूँ ही गुमनाम हो जाते ,
अगर आपका हाथ जो माथे पे ना होता . ..
सही मायने में असली तारीफ के हकदार तो आप ही हैं ||
दर्दे-दिल छुपाना है और मुस्कुराना है
रिश्ता दिल का दिल से है उसको तो निभाना है
फट पडी है यह धरती बारिशें न होने से
रंजो-गम ही उगते हैं अब इन्हें ही खाना है
बहुत बढ़िया शेर
फट पडी है यह धरती बारिशें न होने से
रंजो-गम ही उगते हैं अब इन्हें ही खाना है
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सो रहा है मुद्दत से जाग बेखबर अब तो
माँ का क़र्ज़ है तुझ पर अब तुझे चुकाना है
vaah bahut hi achha racha hai, achha laga padhna
shubhkamnayen
NAMASKAR , JANAB KAISE HAI AAP
AAPKI RACHNAYE KAFI ASARDAR HOTI HAI
KRIPYA ISKO BARKRAR RAKHE
TAHE DIL SE SHUKRIYA .......
MUBARAKBAD...........
फट पडी है यह धरती बारिशें न होने से
रंजो-गम ही उगते हैं अब इन्हें ही खाना है
WAH WAH WAH ..........
KYA BAT HAI .........KABILE TARIF ALFAJ
AAPSE BAHUT DIN MULAKAT NAHI HUI KAHA HAI AAJ KAL JANAB .....CBI ME BUSY HO GAYE HAI AAP?
ashok ji
bahut hi utsaah -vardhak tath prerak dayak hai aapki yah prastuti.
bahut hi sateek baat-----
badhai
poonam
Bhut sundar prastuti.....Ashok ji, Yakinan,,,,badhayi
दर्दे-दिल छुपाना है और मुस्कुराना है
रिश्ता दिल का दिल से है उसको तो निभाना है
अशोकजी! बढ़िया कहा आपने..
अर्ज है....
मुस्कुराते हैं हम बहाने से
दर्द छुपते नहीं छुपाने से
जब भी पत्थरीली राह से निकले
क्यों डरे कोई चोट खाने से
khoobsurat rachna
अशोक जी नमस्कार्। सुन्दर पंक्तियां। बोझ पापियों का है धरती माँ के सीने पर राम बन -----
सो रहा है मुद्दत से जाग बेखबर अब तो
माँ का क़र्ज़ है तुझ पर अब तुझे चुकाना है
बहुत प्रेरक और भावपूर्ण प्रस्तुति..
HMM...wakai bahu hi badhiya likhte hian aap....jitni tareef ki jaaye kam hain....tareef karun kya uski jisne e gajal tujhe bnaya,,,behad achha aur dil se likha hian aapne....hume bhi sikhayiye sirji...
एक अच्छी रचना ....
शुभकामनायें !
bhut badhiya rachana per badhi ho.
bahut hi sarthak lekh likha hai , jarurat hai hame raam ki
jai hind jai bharat
फट पडी है यह धरती बारिशें न होने से
रंजो-गम ही उगते हैं अब इन्हें ही खाना है
bahut achcha sher.. bahut achchi gazal..
बेहतरीन रचना......बहुत ही बढि़या ।
बहुत सुन्दर भावो से भरी पोस्ट......शानदार |
♥
प्रिय बंधुवर अशोक जी
सस्नेहाभिवादन !
लाजवाब भाई !
सर्वत जी जैसे मंझे हुए ग़ज़लकार के कुछ कहने के बाद क्या बचता है
हाऽऽ हाऽऽऽ… !
वाकई , अच्छी ग़ज़ल है …
दर्दे-दिल छुपाना है और मुस्कुराना है
रिश्ता दिल का दिल से है उसको तो निभाना है
बधाई और मंगलकामनाओं सहित…
- राजेन्द्र स्वर्णकार
दर्दे-दिल छुपाना है और मुस्कुराना है
रिश्ता दिल का दिल से है उसको तो निभाना है
vaah.
bahut khoob.
बहुत सुंदर गजल बधाई...
मेरी पोस्ट-वजूद- में स्वागत है
बहुत सुंदर गजल बधाई...
मेरी पोस्ट-वजूद- में स्वागत है
बोझ पापियों का है धरती माँ के सीने पर
राम बन के प्रभु तुझको इस जहां में आना है
Ashok ji ye to theek hai ki papiyon ki is dharti ko humko he muqt karana hai, lekin jis raam ki kalpna aapne ki hai us raam ki kalpna bharat ki adhiktar mahilayen or ladkiyan ni karti.
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