Wednesday, November 6, 2024

तेरी याद में दिल ये तड़पा है

 तेरी याद में दिल ये तड़पा है

तुमसे मिलने को तरसा है


फुक॔त है मंजर अश्कों का

इस बात को कब तू समझा है


रोया हूं बहुत मैं रातों को

जो जख्म दिया वह गहरा है


जब बान चली तेरी यादों की

तब इक शोला सा भड़का है


तेरी जिस्म से लिपटी खुशबू से

तन आज हमारा मेंहका है


कुछ कसक उठी है धड़कन में

मन आज हमारा बहका है


जाओगे कहां मुझसे बच के

हर और मेरा अब पहरा है

       ----- शायर 'अशोक'