Friday, March 19, 2010

विनती है बेटियों को जन्म लेने से न रोको !!!

नव वर्ष संवत २०६६ के पावन अवसर पर ,
नव युवक ट्रस्ट समिति  ( मुजफ्फरपुर )
द्वारा आयोजित कवि सम्मलेन में ,
मेरे द्वारा प्रस्तुत की गई रचना ||

दोस्तों, यह गज़ल, www.jaiyuva.com और
 views24hours.com  पर 
प्रकाशित हुई है , आप पढ़ सकते हैं ...
URL  ADDRESS निम्लिखित है :
http://www.jaiyuva.com/article.php?aid=11&nid=445#
                             

नोटों   से    चलती   दुनियाँ   की   रेलगाड़ी  है
रिश्वत   से   बड़ी   न दूजी   कोई   महामारी है


इतने   घोटाले     हो    रहे   हैं   इस   देश  में
नेताओं की कुर्सी बनी, काले धन की पिटारी है


चुनाव  का  मौसम है, हर   नेता  बने  सेवक हैं
एक - एक   वोट   सब   पे   पड़   रही   भारी है


विनती है  बेटियों  को  जन्म  लेने  से  न रोको
लक्ष्मीबाई भी नारी थी, किरण बेदी भी नारी है


गुनाह  के  खिलाफ़  मुंह   खोलना  भी  पाप है  
ये मंत्र है आज का , कलयुग की दुनियादारी है


....... शायर  " अशोक "

Thursday, March 11, 2010

माँ के आँचल तले ज़न्नत का साया है !!!

बेटे  ने  बाप  को   खंजर   क्यों    दिखाया  है
मुझको  ख़ुदा तूने  ये  मंज़र  क्यों दिखया   है


हर   रिश्ते - नातों   को   ख़त्म   कर   उसने
शक़  की  आग़  में  खुद  को  क्यों जलाया  है


बिन  मौसम  बरसात  का  ये  क्या  इशारा है
शायद किसी  ने  किसी के दिल को दुखाया है


पूछी   है   दोस्तों  ने   मुझसे   मेरी   कहानी
मगर क्यों  जुबाँ   पे   तेरा   नाम   आया   है  


हर  दर्द   की  दवा ,  हर  ज़ख्म  का  मरहम
माँ  के   आँचल  तले  ज़न्नत  का   साया  है 


उस बेबस  किसान की  दुःख भरी दास्तां सुन
"अशोक"  का दिल बहुत दर्द से भर  आया  है


......... शायर  " अशोक "


Saturday, March 6, 2010

नेताओं की कहानी, शायर " अशोक " की जुबानी

 

नव वर्ष संवत २०६६ के पावन अवसर पर ,
नव युवक ट्रस्ट समिति  ( मुजफ्फरपुर )
द्वारा आयोजित कवि सम्मलेन में ,
मेरे द्वारा प्रस्तुत की गई रचना ||


दोस्तों यह रचना ,
http://views24hours.com/news.php?id=574&mid=10&sms_
पर प्रकाशित हो चुकी है ||


आडवाणी जी मंदिर  बनवाओगे  कब तक
हिन्दुओं को  यूँ ही  बहलाओगे  कब  तक


देश  की  जनता    इतनी  नादां   नहीं  है  
तुम  अपनी   रोटी  पकाओगे    कब  तक


मनमोहन जी कुछ अपनी मन की भी कर लो   
सोनिया जी की गाड़ी  चलाओगे कब  तक


पवार जी आपकी  हर पोल है  खुल चुकी  
जनता कों  चीनी   खिलाओगे  कब तक


चिदंबरम  जी जनता जवाब चाहती है  
आतंकवाद को जड़ से मिटाओगे कब तक


परनब बाबू अर्थवयवस्था का गुणगान करते हो  
मंहगाई  पर   लगाम   लगाओगे    कब  तक


माया  जी  आप मूर्तियों की बहुत प्रेमी हो
हाथियों की  मूर्तियाँ बनवाओगे कब तक


ममता जी और लालू जी  रेल के अखाड़े में  
लाभ-हानि का किस्सा सुनाओगे कब तक


नितीश जी आप बात करते हो सुशासन की  
बिहार से अफसरसाही  मिटाओगे कब तक


पासवान जी आप गीत गाते रह गए अल्पसंख्यक की  
अल्पमत  की  मार  खुद  खाओगे  कब  तक


इक सवाल "अशोक" देश की जनता से पूछता है  
तुम   लुटेरों   को    नेता   बनाओगे  कब  तक


......... शायर " अशोक "

Friday, March 5, 2010

कहाँ जाऊं मैं दहकता आफताब लेकर !!!

                                            कहाँ  जाऊं मैं  टूटे हुए ख्वाब लेकर

 कहाँ जाऊं मैं दर्द का सैलाब लेकर ||

 

 

दिल जला है बहुत गमे-इश्क मे यारों  

  कहाँ जाऊं मैं दहकता आफताब लेकर ||

 

........शायर  " अशोक "

Monday, March 1, 2010

बिन तेरे ऐ सनम, होली खेलें कैसे हम....

 


बिन  तेरे   ऐ   सनम ,  होली   खेलें  कैसे   हम
 
हर रंग फींका लगता है  किस रंग  से खेलें  हम
 

 

अब  तो   दिल   भी  रोया  है ,  आँखें  हुई   है  नम  

यादों  की  सतरंगी धूप  में , मुरझा  से गए  हैं हम

 

 

बिन   तेरे  ऐ  सनम , होली   खेलें   कैसे  हम

 

अब आ जाओ  -  अब आ जाओ  

इन लम्हों कों रंगीन बना जाओ
 

 

चाहत  की   इक   रंग   अनोखी ,  

उस रंग  से  हमको  रंग  जाओ


 


अब आ जाओ - अब आ जाओ
 
अब आ जाओ - अब आ जाओ







----- शायर " अशोक "