नव वर्ष संवत २०६६ के पावन अवसर पर ,
नव युवक ट्रस्ट समिति ( मुजफ्फरपुर )
द्वारा आयोजित कवि सम्मलेन में ,
मेरे द्वारा प्रस्तुत की गई रचना ||
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नोटों से चलती दुनियाँ की रेलगाड़ी है
रिश्वत से बड़ी न दूजी कोई महामारी है
इतने घोटाले हो रहे हैं इस देश में
नेताओं की कुर्सी बनी, काले धन की पिटारी है
चुनाव का मौसम है, हर नेता बने सेवक हैं
एक - एक वोट सब पे पड़ रही भारी है
विनती है बेटियों को जन्म लेने से न रोको
लक्ष्मीबाई भी नारी थी, किरण बेदी भी नारी है
गुनाह के खिलाफ़ मुंह खोलना भी पाप है
ये मंत्र है आज का , कलयुग की दुनियादारी है
....... शायर " अशोक "