Sunday, December 18, 2011

इश्क की आग में जलने के लिए जिंदा हूँ !!!


इश्क की आग में जलने के लिए जिंदा हूँ 
आग  में  दर्द की पलने  के लिए जिंदा हूँ 


है कठिन  राह  मगर  मुझको  नहीं रुकना है 
मैं तो गिर गिर के भी चलने के लिए जिंदा हूँ 


चाँद दिखता है मगर दूर बहुत है मुझ से 
और  मैं  हूँ कि मचलने के लिए जिंदा हूँ 


तू मुझे लाख भुला, लाख भुला दे लेकिन 
तेरे  कांटे  मैं  कुचलने  के  लिए जिंदा हूँ 


कभी सचमुच तो कभी ख़्वाब की सूरत आ जा 
अपनी  आँखों  को  ही मलने  के लिए जिंदा हूँ 


----- शायर "अशोक" 

Friday, September 9, 2011

दर्दे-दिल छुपाना है और मुस्कुराना है !!!

दर्दे-दिल छुपाना है और मुस्कुराना है 
रिश्ता दिल का दिल से है उसको तो निभाना है 


बोझ पापियों का है  धरती माँ के सीने पर 
राम बन के प्रभु तुझको इस जहां में आना है 


फट पडी है यह धरती बारिशें न होने से 
रंजो-गम ही उगते हैं अब इन्हें ही खाना है 


प्यार के पुजारी हैं हमको डर से क्या मतलब 
प्यार का बुलावा है और हमको आना है 


सो रहा है मुद्दत से जाग बेखबर अब तो 
माँ का क़र्ज़ है तुझ पर अब तुझे चुकाना है


------  शायर   "अशोक "

Sunday, July 17, 2011

कभी-कभी खामुशी भी !!!

कभी-कभी खामुशी भी
बहुत कुछ कह जाती है

बंद लबों पे ,
दिल का हर अफसाना ,
आँखों की कलम से ,
खुली किताब की तरह
लिख जाती है

कभी-कभी खामुशी भी
बहुत कुछ कह जाती है


---- शायर  " अशोक "