Sunday, July 17, 2011

कभी-कभी खामुशी भी !!!

कभी-कभी खामुशी भी
बहुत कुछ कह जाती है

बंद लबों पे ,
दिल का हर अफसाना ,
आँखों की कलम से ,
खुली किताब की तरह
लिख जाती है

कभी-कभी खामुशी भी
बहुत कुछ कह जाती है


---- शायर  " अशोक "