Friday, August 6, 2010

एहसास के बादल गरजे हैं सावन की सुलगती रात में फिर !!!

एहसास के बादल गरजे हैं सावन की सुलगती रात में फिर 
दो दिल मिल कर अब झूमेंगे इस प्यार भारी बरसात में फिर 



एक एक कदम पर खौफ यहाँ डर डर के हैं जीते लोग यहाँ 
फिर देश पे खतरों का साया हम हैं नाज़ुक हालात में फिर 


खुशहाल हुए आज़ाद हुए लोगों की गुलामी खत्म हुई 
कुछ देर सभी को याद रहा सब आ ही गए औकात में फिर 


सजना तेरे नाम की मेंहदी जब हाथों में रचा डाली उस ने 
शहनाई गूँज उठी मन में सपनों वाली बारात में फिर 


क्या सोच के तुम पहुंचे थे इधर यूं खाली हाथ 'अशोक' 
ये लोग तुम्हारी ही चीज़ें दे देंगे तुम्हें खैरात में फिर . 



 ----  शायर  " अशोक "

28 comments:

Kusum Thakur said...

वाह अशोक कमाल कर दिया ......बहुत बहुत आशीर्वाद !!

परमजीत सिहँ बाली said...

बहुत बढिया अशोक जी। बहुत अच्छी गजल है बधाई स्वीकारें।

masoomshayer said...

bahut sundar likha ahai aur gungunayaa hai

Parul kanani said...

ashok ji...jawaab nahi...its beautiful!

सर्वत एम० said...

मैं पहली बार इस ब्लॉग पर आया हूँ और दुखी हो रहा हूँ, थोड़ा पहले आना चाहिए था. आपके लेखन में दम है लेकिन थोड़ी सी मेहनत करनी होगी टेक्निक समझने में. मुझे विश्वास है, आप इस ओर जरूर ध्यान देंगे.

vinodbissa said...

bahut shandar ... aanand aa gayaa ........ badhate rahen ... shubhkamanayen....

Abhishek Kumar said...

sahi me bahoot hi badhiya hai sir kya khane is gazal ke.......

Anonymous said...

bahut hi sundar likha hai aapne,...

mere naye blog par bhi aapka sawagat hai..

http://asilentsilence.blogspot.com/

श्रद्धा जैन said...

bahut achchi abhivayakti ..

योगेन्द्र मौदगिल said...

wah ashok ji wah.......

VIVEK VK JAIN said...

sundar gazal!

VIVEK VK JAIN said...

sundar gazal!

earthpage said...

Beautiful work

Omraj Pandey said...

bahut sundar rachna hai .... bahut khoob aap ne dil jeet liya ..

दक्षेश कोन्ट्राकटर said...

बहुत बढिया ... मैं गुजरातीमें गज़लें लिखता हूँ मगर हिन्दी गज़लों के प्रति बहुत लगाव हे । आपकी गज़ले दिल को छुती है । जारी रखयेगा ।

S.M.HABIB (Sanjay Mishra 'Habib') said...

wah ashok bhai. shandar gazal. badhaee.

sanjeedgi said...

hi

REALLY SO NICE. READ your shayeri SO SERIOUS AND QUITE. ARE YOU SERIOUS AND QUITE LIKE YOUR SHAYERI?

Anonymous said...

अशोक जी। बहुत अच्छी गजल है बधाई स्वीकारें।

शिवम् मिश्रा said...

शायर " अशोक " जी, जन्मदिन की बहुत बहुत हार्दिक बधाइयाँ और शुभकामनाएं !

Dimple Maheshwari said...

जय श्री कृष्ण...आप बहुत अच्छा लिखतें हैं...वाकई.... आशा हैं आपसे बहुत कुछ सीखने को मिलेगा....!!

शिवा said...

गजल पढ़ और सुन कर बहुत अच्छा लगा!
बधाई स्वीकारें।

Pahal a milestone said...

हैरानी हो रही है ब्लॉग जगत में कोई कवी भी है..वाह..बहुत खूब ब्यान किया है आपने..बहुत शुभकामनाये..

Pahal a milestone said...

हैरानी हो रही है ब्लॉग जगत में कोई कवी भी है..वाह..बहुत खूब ब्यान किया है आपने..बहुत शुभकामनाये..

Pahal a milestone said...

हैरानी हो रही है ब्लॉग जगत में कोई कवी भी है..वाह..बहुत खूब ब्यान किया है आपने..बहुत शुभकामनाये..

रजनीश तिवारी said...

achche sher bahut achchi gazal !
एहसास के बादल गरजे हैं सावन की सुलगती रात में फिर
happy holi !

Yogesh Amana Yogi said...

Bahut hi sundar Abhvyakti... plz visit my blog and give me ur valuable comments = http://yogeshamana.blogspot.com/

S.M.HABIB (Sanjay Mishra 'Habib') said...

"खुशहाल हुए आज़ाद हुए लोगों की गुलामी खत्म हुई
कुछ देर सभी को याद रहा सब आ ही गए औकात में फिर"

बहुत उम्दा...
मुहतरम अशोक जी,
काफी देर से आपके एहसास - आपके जज़्बात के साथ हूँ... बहुत ही उम्दा रचनाएं पढने को मिली...
सादर बधाई और शुभकामनाएं....

रचना दीक्षित said...

बहुत ही अच्छी गज़ल