नव वर्ष संवत २०६६ के पावन अवसर पर ,
नव युवक ट्रस्ट समिति ( मुजफ्फरपुर )
द्वारा आयोजित कवि सम्मलेन में ,
मेरे द्वारा प्रस्तुत की गई रचना ||
दोस्तों, यह गज़ल, www.jaiyuva.com और
views24hours.com पर
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प्रकाशित हुई है , आप पढ़ सकते हैं ...
नोटों से चलती दुनियाँ की रेलगाड़ी है
रिश्वत से बड़ी न दूजी कोई महामारी है
इतने घोटाले हो रहे हैं इस देश में
नेताओं की कुर्सी बनी, काले धन की पिटारी है
चुनाव का मौसम है, हर नेता बने सेवक हैं
एक - एक वोट सब पे पड़ रही भारी है
विनती है बेटियों को जन्म लेने से न रोको
लक्ष्मीबाई भी नारी थी, किरण बेदी भी नारी है
गुनाह के खिलाफ़ मुंह खोलना भी पाप है
ये मंत्र है आज का , कलयुग की दुनियादारी है
....... शायर " अशोक "
25 comments:
BAHUT HI GAJAB KI RACHANAA HAI ..... VYANG KE SAATH SAATH AAPNE JO SANDESH DIYAA HAI VO NIHSANDEH VANDAN YOGYA HAI ....
NIRANTAR AAP TARKKI KARTE RAHE BS YAHI KAMANAA HAI ....SHUBHKAMANAYEN.....
गुनाह के खिलाफ़ मुंह खोलना भी पाप है ,
ये मंत्र है आज का, कलयुग की दुनियादारी है
aaz ke yug kee yahee schchai hai
badhai ...!
विनती है बेटियों को जन्म लेने से न रोको
लक्ष्मीबाई भी नारी थी, किरण बेदी भी नारी है
बहुत खूब कहा!
NAMASKAR ASHOK JEE BILKUL SAHI FARMAYA HAI AAPNE ...........AAJ KA DAUR KUCHH ISI TARAH SE HO CHALA HAI ............THANKS
BEAUTIFUL ASHOK JI
gazab likha he, seedha prahaar kiyahe , system par,
badhaie
bahut khoob...
bahut hi sashakt, gambheer awaaz lagai hai....bahut badhiyaa
विनती है बेटियों को जन्म लेने से न रोको
लक्ष्मीबाई भी नारी थी, किरण बेदी भी नारी है
बहुत ही सुंदर और यथार्थ रचना.....दिल के एकदम करीब......बहुत-बहुत आभार।।
behtreen bhai kya bat hai. samaj ki sachchai ko ujagar kar diya aapne
मित्रों , आपने इस रचना को पसंद किया ,
बहुत-बहुत शुक्रिया !!!
मैं तो यही चाहूँगा इस रचना में लिखी गई ,
हर बात जन-जन तक पहुंचे |
और देश का हर नागरिक इन बातों को पर गौर करें ||
एक शेर जो इस गज़ल की मुझे बहुत पसंद है ,
विनती है बेटियों को जन्म लेने से न रोको
लक्ष्मीबाई भी नारी थी, किरण बेदी भी नारी है !!!
ये शेर , आज की युवा पीढ़ी के नाम ||
क्यों की भविष्य में इन्हें ही
बेटे और बेटी बीच, फर्क को लेकर उत्पन्न हुई गलत
धारणाओं को समाप्त करना है ||
आप यूँ ही अपना स्नेह और आशीर्वाद ,
मुझ पर बनाएं रखें ||
धन्यवाद .......
antim ke do shear,o.ne dil jeet liya...bhai..bahut krari chot ki he aapne vartmaan parivesh ke aa..sadhaaran...halaat pr,,wah.....bahut khob jnaab.
adbhut rachna....
अशोक जी सबसे पहले ब्लॉग पर आने का शुक्रिया .....
बहुत अच्छी रचना है आपकी समय पर प्रहार करती.....ये शे'र ज्यादा पसंद आये .....
नोटों से चलती दुनियाँ की रेलगाड़ी है
रिश्वत से बड़ी न दूजी कोई महामारी है
बहुत सही कहा आपने ......!!
विनती है बेटियों को जन्म लेने से न रोको
लक्ष्मीबाई भी नारी थी, किरण बेदी भी नारी है
बेटियों को जन्म देने से पहले पुरुष अगर उसे सम्मान देना सीख ले तो शायद किसी महिला को आपत्ति न हो उसे जन्म देने पर .....दहेज़ के बाद भी बेटियाँ जब सुखी न रह पाएं तो माँ- बाप क्या करें .....???
विनती है बेटियों को जन्म लेने से न रोको
लक्ष्मीबाई भी नारी थी, किरण बेदी भी नारी है
गुनाह के खिलाफ़ मुंह खोलना भी पाप है
ये मंत्र है आज का , कलयुग की दुनियादारी है
Waah, bahut khub.
Waah khub likha hai aapne. Samsaamayik vishayo par likhne waala kavi aur apne desh, kaal aur parivesh ko kala me sanjooye rakhne waala kavi hi safal kalakaar hai. Aur aapme woh gun hai.
आपके ब्लॉग पर आकर कुछ तसल्ली हुई.ठीक लिखते हो. सफ़र जारी रखें.पूरी तबीयत के साथ लिखते रहें.टिप्पणियों का इन्तजार नहीं करें.वे आयेगी तो अच्छा है.नहीं भी आये तो क्या.हमारा लिखा कभी तो रंग लाएगा. वैसे भी साहित्य अपने मन की खुशी के लिए भी होता रहा है.
चलता हु.फिर आउंगा.और ब्लोगों का भी सफ़र करके अपनी राय देते रहेंगे तो लोग आपको भी पढ़ते रहेंगे.
सादर,
माणिक
आकाशवाणी ,स्पिक मैके और अध्यापन से सीधा जुड़ाव साथ ही कई गैर सरकारी मंचों से अनौपचारिक जुड़ाव
http://apnimaati.blogspot.com
अपने ब्लॉग / वेबसाइट का मुफ्त में पंजीकरण हेतु यहाँ सफ़र करिएगा.
www.apnimaati.feedcluster.com
its really thoughtful, Ashok ji
http://www.tadap-tadap.blogspot.com/
ghazal to bahut sundar hai...thoda aur behr ka dhyan rakhiye...waise andaaze-bayan bahut achha hai...
ब्लॉग पर आने का शुक्रिया .....हरकीरत ' हीर' जी
बेटियों को जन्म देने से पहले पुरुष अगर उसे सम्मान देना सीख ले
तो शायद किसी महिला को आपत्ति न हो उसे जन्म देने पर .....
दहेज़ के बाद भी बेटियाँ जब सुखी न रह पाएं तो माँ- बाप क्या करें .....???
बिलकुल सही बातों को आपने दर्शाया है 'हीर' जी ... शुक्रिया आपको,
इसी कारण से मैंने ये शेर ,
आज की युवा पीढ़ी के नाम किया है |
क्यों की भविष्य में इन्हें ही
बेटे और बेटी बीच, फर्क को लेकर उत्पन्न हुई गलत
धारणाओं को समाप्त करनी है ||
धन्यवाद .........
waqay me bahut sundar rachna he
shekhar kumawat
http://kavyawani.blogspot.com/
बहुत ही अच्छा लिखा है...
कविता में व्यंग के साथ सन्देश भी हो इससे अच्छी क्या बात होगी!!!
बहुत खूब..
*****श्रेष्ठ रचना****
Manas Khatri
www.manaskhatri.wordpress.com
sarahneey
bhut bhavpurn rachana hai aapaki.
har sher bahut hee achaa hai bahut sundar
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